Human Evolution – मानव उद्विकास के सिद्धांत और लक्षण।
मनुष्य के उद्विकास की कहानी सदियों पुरानी है। आज की इस पोस्ट में हम Human Evolution – मानव उद्विकास के सिद्धांत और लक्षण के बारे में जानेंगे की मानव का विकास कैसे हुआ। आज का आधुनिक मानव अन्य जीवो की बजाय इतना सक्षम, बुद्धिवान, ऊर्जावान कैसे बन गया। कैसे मानव में यह विकास हुआ। आदि सभी के बारे में।
मानव का विकास (Human Evolution) कैसे हुआ ?
मनुष्य में ही नहीं अपितु विभिन्न जन्तु जातियों में भी सफल जीवन व्यतीत करने के लिए विशिष्ट अंगो का विकास हुआ है, जैसे – कीट, पक्षी तथा चमगादड़ो में उड़ने के लिए पंख, चूहे तथा गिलहरियों में पकड़ने, गड्डे खोदने के लिए, पेड़ो पर चढ़ने के लिए नुकीले पंजे तथा जलीय जीवन के लिए पंख या पैडल। इसी प्रकार मानव उद्विकास में मस्तिष्क का विकास एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे वह जन्तु जगत में सर्वोच्च कोटि पर आसीन है। अतः इसमें सबसे अधिक मस्तिष्क का विकास हुआ है जिससे वह स्थति के आधार पर विचार, तर्कशक्ति तथा निर्णय लेने की क्षमता रखता है। और यही खासियत मनुष्य को अन्य जीवो से भिन्न बनाती है।
TH हक्सले ने “प्रकृति में मनुष्य का स्थान” नामक बुक में उन्होंने उसके पालन पोषण विकास का अध्ययन दिया। मानव के उद्विकास के लिए चार्ल्स डार्विन ने ‘The Descent of man’ में मानव की पूर्वजता का अध्धयन किया। आधुनिक मानव जाति का वैज्ञानिक नाम होमो सेपियन्स पढ़ा। जिसमे सेफियन्स का अर्थ बुद्धिमान से माना जाता है।
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Classification Of MAN मनुष्य का वर्गीकरण
- संघ – कॉर्डेटा
- उपसंघ – वर्टिब्रेटा
- वर्ग – मेमेलिया (स्तनधारी)
- गण – प्राइमेट
- उपगण – एंथ्रोपोइडिया
- कुल – होमीनीडी
- वंश – होमो
- जाति – सेपियन्स
मानव का उदभव स्थल जीवाश्मों से प्रमाणित होता है की मानव के पूर्वज कपि एवं बन्दर थे। इसमें अधिकांश जीवाश्म अमेरिका, एशिया, यूरोप से प्राप्त हुए।
- एशिया को मानव का उदभव माना जाता है क्योकि एशिया की सभ्यता सबसे पुरानी है।
- एशिया में सभी पालतू जंतु एवं फसलों की उत्पति हुई।
- एशिया में सभी जन्तु जातियों का स्थानान्तरण हुआ।
- पुरातन मानव के जीवाश्म जावा मानव चीन में मिले।
- आदि पृथ्वी के निर्माण के समय एशिया की जलवायु सबसे अनुकूल थी
Human Evolution – मानव उद्विकास
मानव का विकास मायोसीन युग में हुआ। अन्त में इसे सिनोजोनिक युग के नाम से जाना जाने लगा तथा तृतीया काल में प्लायोसिन युग भी कहा जाने लगा। विभिन्न तरह के विकास होते होते एक कपि मानव में बदल गया। मानव जैसे कपि से, आदि मानव का विकास 1 करोड़ 32 लाख वर्ष पूर्व हुआ।
मानव के उद्विकास के लक्षण (Characteristics of human evolution)
कपियों से मानव में निम्नलिखित लक्षण अर्जित किये गये।
- मस्तिष्क तथा कपाल का बड़ा होना।
- हाथ तथा कपाल का बड़ा होना।
- सीधे खड़े होकर चलने लगे।
- नेत्र का विकास हुआ।
- संवेदनशीलता का विकास हुआ।
- सामाजिक संगठन का निर्माण हुआ।
- विचारो के आदान प्रदान के लिए वाणी का विकास हुआ।
- मस्तिष्क के आकार एवं बुद्धि में वृद्धि हुई।
- चेहरे का चपटा होना।
- शरीर पर बालो में कमी।
- नाक का ऊँचा सीधा होना।
- ऊँचाई में वृद्धि।
मानव के पूर्वज (Human Ancestors)
रामापिथेकस तथा शिवापिथेकस के जीवाश्म को मानव के पूर्वज कहा जाता है। इन जीवाश्मों में चेहरा छोटा, मस्तिष्क चौड़ा, दांत लम्बे हुआ करते थे। जिनके बाद से धीरे धीरे तक़रीबन 1 करोड़ 32 लाख वर्ष बाद आज के मानव का रूप मिला। मानव के पूर्वजो में विकाश और नामकरण के आधार पर कई प्रकार हुए।
आस्ट्रेलोपिथेकस Australopithecus – प्रथम कपि मानव
इसके जीवाश्म, रेमण्ड डार्ट द्वारा 1925 में दक्षिण अफ्रीका में खोजे गये थे। ये रामापिथेकस तथा होमो वंश के मध्यवर्ती थे। ऑस्ट्रेलोपिथेकस को होमो वंश का पैतृक माना गया। ऑस्ट्रेलोपिथेकस लगभग चार फिट के थे और सीधे खड़े होकर चलते थे। इनकी मस्तिष्क क्षमता 450 – 600 ml थी, जो चिम्पैंजी से थोड़ी ज्यादा थी। ऑस्ट्रेलोपिथेकस की कपालिय क्षमता 500cc थी। रामापिथेकस भारत में शिवालिक पहाड़ियों में पाए गए। रामापिथेकस के जीवाश्म G.E. लेविस ने खोजे थे।
होमो इरेक्टस (Homo Erectus) – आधुनिक मानव को आगे ले जाने वाला
मध्य प्लीस्टोसीन काल में, ऑस्ट्रेलोपिथेकस विकसित मस्तिष्क द्वारा सफलतापूर्वक जीवन जी रहे थे, जिसको पीथेकेंथोपास या जावा मानव नाम दिया गया। इनके प्रथम जीवाश्म डुबॉयस (1891) द्वारा प्राप्त किये गए। इसे आधुनिक मानव को आगे ले जाने वाले मानव भी कहा जाता है। इनका मस्तिष्क विकसित सीधे कपि मानव कहा गया। मेयर ने 1950 में इस मानव का नाम होमो इरेक्टस दिया।
जावा मानव (Java Human)
इस मानव को पिथेकेंथोपस पेकिनसिस कहते है। इसके जीवाश्म प्लीस्टोसीन युग में मिले थे। जावा मानव पाँच फीट से अधिक लम्बे थे इनका चेहरा आगे निकला हुआ था। इन्होने औजार बनाना सीखा तथा आग से प्रकाश उत्पन्न किया इनका चेहरा आगे निकला हुआ तथा जबड़े बड़े दाँतों के साथ भारी थे। ठोड़ी अनुपस्थित तथा आँखें अस्थिल थी। इनकी कपाली क्षमता 940 c.c. है। आस्ट्रेलोपिथेकस की कपालीय क्षमता 600 – 700 c.c. थी। आधुनिक मानव की 1400 – 1600 c.c. थी।
पीकिंग मानव (Peking Human) होमो इरेक्टस पेकिनसिस
यह जावा मानव के समान ही थे। इनकी आँख के ऊपर की हड्डी मोटी तथा उभरी हुई थी। इनकी कपालीय क्षमता जावा मानव से अधिक थी जो 850-1200 c.c. थी। पिकिंग मानव को होमो इरेक्टस पेकिनसिस भी कहा जाता है।
होमो सेपियन्स (Homo Sapiens) पश्च प्लीस्टोसीन मानव
इनके जीवाश्म यूरोप, एशिया, तथा अफ्रीका में मिले थे। ये मानव निएण्डर थल के अंतर्गत आते है। होमो सेपियन्स मानव को पश्च प्लीस्टोसीन मानव भी कहा जाता है।
निएंडरथल मानव (Neanderthal human)
ये मानव जर्मनी की घाटी में मिले, इन मानव में जंघा अस्थि बाहर की ओर वक्रित थी खोपड़ी की हड्डी मोटी (आधुनिक मानव के समान) थी। इन्होने बुद्धिमान औजार बनाये। निरर्थन मानव ने मुर्दो को रीती -रिवाज़ से दफनाना आरम्भ किया और झोपड़ी के समान घर बनाए। इनकी कपालीय क्षमता लगभग 1450 cc थी।
सोलोमानव – होमो सोलोनेन्सिस
इनके जीवाश्म सोलो नदी के किनारे खोजे गए थे। इनकी भौहें भारी तथा ढलवा प्रकार की थी। इनकी कपालीय क्षमता 1300 cc थी।
रोडेशियन मानव (होमो रोडेनसिस)
इन मानव के जीवाश्म चुने पत्थर की गुफाओ में मिले इनकी कपालीय क्षमता 1300 cc थी। इस मानव को होमो सोलोनेन्सिस भी कहा जाता है।
क्रो-मैगनन मानव (होमो सेफियन्स फॉसिलिस)
ये 30,000 या इससे अधिक वर्ष पूर्व यूरोप में रहते थे। ये निएण्डर थल के बाद आए और 10,000 वर्ष पूर्व विलुप्त हो गए। इनकी कपालीय क्षमता 1600 cc थी। ये गुफा में रहते थे शिकारी प्रकृति के थे, इन्होने पत्थर से औजार बनाये और हाथी दाँत से सजावटी सामान बनाए। ये चित्रकारी में निपुण थे। क्रो-मेगनन मानव को होमो सेपियन्स फॉसिलिस भी कहा जाता था।
आधुनिक मानव (होमो सेपियन्स – सेपियन्स) Modern Human (Homo Sapiens – Sapiens)
पश्च ग्लेशियल पीरियड के लगभग 10,000 वर्ष पूर्व होमोसेपियन्स सेपियन्स उत्पन्न हुए और सम्पूर्ण विश्व में फ़ैल गए। इनकी विशेषता यह थी कि इन्होने आर्थिक महत्त्व के पौधे उगाए तथा पशुपालन किया। ये प्रथम आवासीय मानव थे, तथा स्थिर रूप से एक स्थान पर रहने लगे। आधुनिक मानव को होमो सेपियन्स – सेपियन्स कहा जाता था।
महत्वपूर्ण बिंदु (Important point)
- जावा मानव की कपालीय क्षमता – 940 cc.
- आस्ट्रेलोपिथेकस मानव की कपालीय क्षमता – 600 – 700cc थी।
- आधुनिक मानव की कपालीय क्षमता – 1400 – 1600 cc थी।
- पिकिंग मानव की कपालीय क्षमता 812 -1200 cc थी।
- निएण्डर थल मानव की कपालीय क्षमता 1450cc थी।
- रोडेशियन मानव की कपालीय क्षमता – 1300 CC थी।
- क्रो मेगनन मानव की कपालीय क्षमता – 1600 CC थी।
Evolution Of Man MCQ With Answers
उम्मीद करता हूँ इस पोस्ट में दी गई जानकारी Human Evolution – मानव उद्विकास के सिद्धांत और लक्षण। मानव का विकाश कैसे हुआ। मानव की उत्पत्ति और विकास। आपको समझ आये होंगे। साथ इस पोस्ट में दिए गए सभी MCQ आपने सफलता पूर्वक हल कर लिए होंगे। यह पोस्ट और MCQ आपको कैसे लगे हमें कमैंट्स कर के जरूर बताये। साथ ही ऐसे अन्य पोस्ट और Quiz के लिए हमारे ब्लॉग gkhindiquiz.com की अन्य पोस्ट भी पढ़े।
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