History Of India In Hindi भारत और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास।
भारत का इतिहास (History Of India) कई वर्ष पुराना है। मानव की उत्पति से लेकर आदिमानव काल और वर्तमान काल में भी भारत, हर युग में मौजूद रहा है और इतिहास में इसके साबुत भी मिले है। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे भारतीय इतिहास क्या है (History Of India In Hindi) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास क्या है (History Of Indian National Movement) और भारतीय इतिहास में हुई प्रमुख घटनाओ (Major Events in Indian History) के बारे में जानकारी लेंगे।
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भारत का इतिहास History Of India
भारतीय इतिहास को हम चार भागो में पड़ेंगे।
- प्राचीन भारत का इतिहास
- मध्यकालीन इतिहास
- आधुनिक इतिहास एवम
- स्वतंत्रता आन्दोलंनो
प्राचीन भारत का इतिहास (History Of Ancient India)
पूर्व एतिहासिक काल –
पाषाण युग – पाषाण काल 5,00,000 ई. पू. से लेकर 1,00,000 ई.पू, से पहले आरम्भ हुआ माना जाता है। इस काल में मानव की उत्तपति का पता लगाया गया था। इस काल में पशुओ का शिकार, कृषि, पशुपालन आदि का विकास भी हो चूका था। देश के दाओजली नामक स्थल, जो की असम में है, यहाँ कृषि व पशुपालन के साक्ष्य मिले है।
कांस्य युग – कांस्य युग की शुरुआत लगभग 3,300 ई. पू. सिंधु घाटी सभ्यता के साथ हुई थी। भारतीय पुरातत्व विभाग के निदेशक जॉन मार्शल के 1921 ई. हड़प्पा की जानकारी दी। भारतीय इतिहास प्राचीन होने से यह मेसोपोटामिया और प्राचीन मिस्र के साथ ही विश्व की प्राचीन सभ्यता है। इस युग में तांबा, पीतल, सीसा, टिन, हस्तशिल्प, प्रतिमाएँ बनाना, अंतिम संस्कार, मापतौल, धार्मिक प्रथाएँ, और धातु विज्ञान का उत्पादन कर लिया था।
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प्रारंभिक एतिहासिक काल
वैदिक काल – ऐसा माना जाता है की आर्य जनों का भारत आगमन 1500 ई. पू. से कुछ समय पहले हुआ होगा और भारतीय भूभाग के सप्त सैंधव क्षेत्र को अपना निवास बनाया, जहाँ इन्होने ग्राम बस्तिया बसाई। इन्हे प्रायः ‘काकेश’ प्रजाति का माना जाता था, किन्तु यह कहना कठिन है की यह एक ही प्रजाति के थे, किन्तु ये संभवतः सांस्कृतिक रूप से एक थे। यह ‘हिन्द यूरोपीय’ परिवार की भाषा बोलते थे। आर्यजनो का प्रारंभिक जीवन कबीलियाई था जो आजीविका के लिए पशुचारण पर आश्रित थे। वैदिक संस्कृति को निम्नलिखित दो भागो में विभाजित किया जाता है –
- ऋग्वैदिक काल – भारत में आर्यों की जानकारी ऋग्वेद से मिली है। इस वेद में आर्य शब्द का उल्लेख 36 बार हुआ है। भारत में आर्य भाषाओं का आगमन 1500 ई.पू.-1000 ई. पू.से कुछ समय पूर्व हुआ था। इस काल में भी कृषि, पशुपालन, कबीला और परिवार निर्माण, भौतिक जीवन आदि का विकास हो चूका था।
- उत्तर वैदिक काल – उत्तर वैदिक काल का इतिहास मुखयतः उन वैदिक ग्रंथो पर आधरित है, जिसकी रचना ऋग्वैदिक काल के बाद हुई। इस काल का आगमन 1000 ई. पू. से 600 ई. पू. माना गया है। जिस काल में ऋग्वेद के अलावा अन्य वेद जैसे- यजुर्वेद, सामवेद, अथर्वेद, ब्राह्मण, उपनिषदएवम आरण्यक आदि ग्रंथो की रचना हुए, उसे उत्तर वैदिक काल कहते है। उत्तर वैदिक काल चार वर्गो में विभाजित था – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
जैन और बौद्ध धर्म – छठी शताब्दी ई. पू. का युग मानवीय इतिहास में पूर्णतः आध्यात्मिक जागृति का युग था। जिसके फलस्वरूप ब्राम्हणो के जटिल की प्रक्रिया स्वरुप कर्मकाण्डो , कई दार्शनिक धर्म -सम्प्रदाय का भी उदय हुआ। इस युग के लगभग 62 धार्मिक सम्प्रदाय ज्ञात है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म थे। जैन धर्म की स्थापना ऋषभ देव की तथा बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध ने की थी।
महाजनपद – छठी शताब्दी ईशा पूर्व में एक ओर जहाँ धार्मिक क्रांति का अत्यधिक विस्तार हुआ वही दूसरी ओर धार्मिक क्रांति के साथ-साथ लोगो के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में अत्यधिक परिवर्तन हुए। ‘महा ‘शब्द का अर्थ है-महान और ‘जनपद’ का अर्थ है – किसी जनजाति का आधार। 500 ईशा पूर्व तक 16 महाजनपद की स्थापन हो गई थी, जैसे – अंग, मगध, मल्ल, काशी, कोशल, पांचाल, कुरू, वज्जि, मत्स्य, वत्स, शूरसेन, चेदि, अश्मक, अवन्ति, गांधार, कम्बोज।
मौर्य साम्राज्य – मौर्य साम्राज्य 322 ई.पू. से 184 ई.पू.तक रहा है। जिसकी स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने की थी। यह साम्राज्य राजनीतिक व सैन्य रूप से शक्तिशाली एवम भौगोलिक रूप से अत्यंत वृहद था। मौर्य साम्राज्य को उन्नत व वृहद बनाने का श्रेय महान राजा अशोक को जाता है। इनका शासनकाल उन्नतशील रहा है।
मध्यकालीन भारत का इतिहास (History of Medieval India)
मध्यकालीन भारत का इतिहास 712 ई.से 1707 ई.तक का था। मध्यकालीन भारत को दो भागो में बाँट गया है –
- पूर्व मध्यकालीन (8वी से 12वी ) एवम
- उत्तर मध्यकालीन (12वी से 18वी)
भारत के मध्यकाल में कई वंशज हुए जिनके कई उन्नत व वृहद साम्राज्य हुए है। जिसमे कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प के विकास, सैन्य अभ्यास, मंदिर निर्माण, साम्राज्य की स्थापना व पतन, मकबरो का निर्माण, महल का निर्माण आदि कार्य किये जाते थे।
आधुनिक भारत का इतिहास (History of Modern India)
भारत के इतिहास (history of india) में 16 वी सदी में पुर्तगाल, डच, अंग्रेज, फ्रेंच, फ्रांसीसी व यूनानी ने भारत को व्यापर का केंद्र बनाया था। अंग्रेजो के अत्यधिक प्रताडना के कारण भारत ने उन्हें कम्पनियो को छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।
ब्रिटिश राज – सन 1600 के ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आने पर यहाँ महारानी विक्टोरिया के शासन का ब्रिटिश राज शुरू हुआ। यह शासन भारत की प्रथम स्वतंत्रता की लड़ाई तक चलते रहा तथा यह 1857 में इस लड़ाई के दौरान ब्रिटिश राज समाप्त हुआ।
1857 का विद्रोह – इसे भारतीय सवतंत्रता की पहली लड़ाई मानी जाती है। इस विद्रोह का वास्तविक आरम्भ 10 मई 1857 को मेरठ की तीसरी बंगाल लाइट कैवेलरी के सिपाहियों द्वारा किया गया था। इस विद्रोह में समाज के कई अन्य समुदाय जैसे जमींदार, किसान, दस्तकार, विद्वान भी इस विद्रोह में शामिल हुए। जिसमे मुख्य क्रन्तिकारी –
- बहादुर शाह जफ़र – इनका विद्रोह का मुख्य केंद्र दिल्ली रहा। तथा इनके साथ बख्त खाँ व हाकिम अहसानुल्ला भी शामिल थे।
- बेगम हजरत महल – इनका क्रांति का केंद्र लखनऊ था तथा इनके साथ नवाब वाजिद अली शाह भी थे।
- रानी लक्ष्मी बाई – लक्ष्मी बाई का क्रांति का केंद्र झांसी (ग्वालियर) था तथा इनके साथ तात्या टोपे भी शामिल थे।
- मंगल पाण्डे – मंगल पाण्डे को एक ब्रिटिश अधिकारी पर हमला करने के लिए जाना जाता है, यह घटना को स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत माना जाता है। इन्होने बैरकपुर (प.बंगाल) में विद्रोह किया था।
- नाना साहेब – पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने तात्या तोपे, अजीजन बेगम व टिका सिंह के साथ मिलकर कानपूर (बिठूर) में विद्रोह का नेतृत्व किया था।
- राणा प्रताप सिंह – राणा प्रताप सिंह ने वीर सिंह के साथ मिलकर कुल्लू में क्रांति की थी। इन दोनों को फांसी पर लटका दिया था।
- वीर कुँवर सिंह – अमर सिंह के साथ मिलकर जगदीशपुर और दानापुर में विद्रोह किया था।
- बख्त खान – मई में अंग्रेजो के खिलाफ मेरठ में सिपाहियों के विद्रोह करने के बाद दिल्ली में सिपाही सेना के कमांडर बन गए थे।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Independence Movement)
भारत के इतिहास (history of india) में भारत में शाशन करने वाले अंग्रेज ‘फुट डालो शासन करो’ की निति अपनाते थे और भारत पर राज करते थे। इसलिए महात्मा गाँधी ने लाखो लोगो के साथ मिलकर 1947 में कुछ आंदोलनों का नेतृत्व किया। जिसमे कुछ मुख्य सत्याग्रह है – चम्पारण सत्याग्रह(1917), जलियाँवाला बाग (1919), अहमदाबाद मजदुर आंदोलन(1918 ) ,खेड़ा सत्याग्रह (1918), खिलाफत आंदोलन (1919), असहयोग आंदोलन (1920 -22), चौरा -चौरा (1922), स्वराज पार्टी (1923), साइमन कमीशन (1927), व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940) आदि।
चम्पारण सत्यागह (1917) – चम्पारण सत्याग्रह भारत में गाँधी जी का प्रथम सत्याग्रह था। किसान को तीन कठिया पद्धति के अंतर्गत जमीन के 3/20 वे भाग पर ली की खेती करनी पड़ती थी और यूरोपियो द्वारा तय किये मूल्य पर उसे बेचना पड़ता था। जिसके विरोध में, लखनऊ के राजकुमार शुक्ल के साथ मिलकर यह सत्यग्रह चलाया गया था।
खेड़ा सत्याग्रह (1918) – खेड़ा में ही गाँधी जी ने प्रथम वास्तविक किसान सत्याग्रह शुरू किया। खेड़ा के किसान नष्ट हो जाने के कारन, लगान को स्थगित करना चाहते थे। किन्तु सरकार उसके लिए तैयार नहीं थी, इस कारण यह सत्याग्रह करना आवश्यक हो गया था।
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (1919) -10 अप्रैल, 1919 को दो भारतीय नेता डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू को गिरफतार कर लिया गया था, जिसके विरोध में 13 अप्रैल,1919 को जलियाँवाला बाग में शांति पूर्ण सभा का आयोजन किया गया। सभा स्थल पर मौजूद जनरल डायर ने बिना किसी सूचना के भीड़ पर गोली चलवा दी, जिसमे करीब 1000 लोग मरे गए। सरकार ने हत्याकाण्ड की जाँच के लिए हंटर आयोग गठित किया।
खिलाफत आंदोलन (1919) – भारत के मुस्लिमान तुर्की के सुल्तान को खलीफा मानते थे। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने 10 अप्रैल 1920 को संपन्न सिवर्स की संधि द्वारा तुर्की का विभाजन कर दिया। 19 अक्टूबर 1919 को समूचे देश में खलीफत दिवस मनाया गया। 23 नंवबर 1919 को दिल्ली में अखिल भारतीय खिलाफत आंदोलन का अधिवेशन हुआ, जिसकी अध्यक्षता गाँधी जी ने की। इस आंदोलन में मोहम्मद अली और शौकत अली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1924 में यह आंदोलन उस समय समाप्त हुआ, जब तुर्की में मुस्तफा कमाल पाशा नेतृत्व में बनी सरकार ने खलीफा का पद समाप्त कर दिया।
असहयोग आंदोलन (1920 -22) – 1920 में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया। यह सबसे बड़ा जन आंदोलन था। गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को शुरू किया। इसी दिन तिलक की मृत्यु हो गई थी।
चौरा -चौरी (1922) – 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर स्थित चौरा-चौरी नामक स्थान पर आंदोलनकारियों ने पुलिस के 22 जवानो को थाने के अंदर जिन्दा जला दिया। गाँधी ने 12 फरवरी 1922 को बारदोली में हुई बैठक में असहयोग आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया और यह आंदोलन समाप्त हो गया। गाँधी जी को 10 मार्च 1922 को गिरफ्तार कर असंतोष फ़ैलाने के आरोप में 6 वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई।
स्वराज पार्टी (1923) – काँग्रेस के 1922 के अधिवेशन (अध्यक्ष्य सी.आर.दास) में मोतीलाल नेहरू और सी.आर.दास ने काँग्रेस से त्याग पत्र दे दिया और मार्च 1923 में इलाहबाद में काँग्रेस खिलाफ स्वराज पार्टी की स्थापना की। नवंबर 1923 के चुनावों में स्वराजियों ने केंद्रीय विधानमण्डल में 101 सीटों में से 42 पर कब्जा किया। जिसमे स्वराज पार्टी के अंतर्गत सचिन्द्रनाथ सान्याल, जोगेश चटर्जी, रामप्रसाद बिस्मिल, असफाक उल्ला, रोशन लाल राजेंद्र लाहिड़ी, भगत सिंह, सुखदेव, भगवती चरण बोहरा, चंद्रशेखर आज़ाद, राजगुरू, बटुकेश्वर दत्त, मोहम्मद इक़बाल आदि सम्मिलित थे।
साइमन कमीशन (1927) – साइमन कमीशन का गठन 8 नवबंर 1927 को जॉन साइमन की अध्यक्षता में किया गया। यह सात सदस्य की समिति थी, जिसमे एक भी भारतीय नहीं था इसलिए इसे श्वेत (व्हाइट) कमीशन भी कहा जाता है। 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन भारत पंहुचा। लॉर्ड इर्विन के सुझाव पर इस आयोग में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ। नारा दिया गया ”साइमन वापस जाओ” .
सविनय सविज्ञा आंदोलन (1930) – फरवरी 1930 में साबरमती आश्रम में हुई कॉंग्रेस की बैठक में सविनय सविज्ञा आंदोलन शुरू करने की बागडोर गांधीजी के हाथ में सौंपी गई। गाँधी जी ने यंग इंडिया के माध्यम से वायसराय के समक्ष 11 सूत्री माँगे रखी।
दाण्डी यात्रा (1930) – गाँधी जी ने 12 मार्च,1930 को अपने 78 सदस्यों के साथ साबरमती आश्रम से दाण्डी (नौसारी, गुजरात) तक 385 किमी की यात्रा की और 6 अप्रैल 1930 को दाण्डी में नमक कानून का उल्लंघन किया और देश भर में यह आंदोलन शुरू हो गया। इस आंदोलन के समय बच्चो की वानर सेना व लड़कियों की मंजरी सेना का गठन किया गया था।
गाँधी-इरविन समझौता (5 मार्च 1931) – इसे दिल्ली समझौता भी कहा जाता है। एम.आर.जयकर, तेजबहादुर सप्रू और श्रीनिवास शास्री के प्रयासों से गाँधी-इरविन समझौता हुआ। कराँची में कॉंग्रेस के विशेष अधिवेशन में (अध्यक्ष वल्लभभाई पटेल) गाँधी-इरविन समझौता को स्वीकार किया गया।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – 8 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में कांग्रेस कमेटी की वार्षिक बैठक हुई जिसमे नेहरू द्वारा प्रस्तुत वर्धा प्रस्ताव की पुष्टि की गई। आंदोलन में गांधी जी ने ”करो या मारो का नारा” दिया। उषा मेहता ने 14 अगस्त 1942 को सर्वप्रथम बम्बई से रेडिओ प्रसारण का कार्य किया। गाँधी जी ने 10 फरवरी 1943 को जेल में 21 दिनों तक उपवास करने की घोषणा की। इस आंदोलन के दौरान गाँधी के साथ अमेरिका पत्रकार लुई फिशर भी थे।
आजाद हिन्द फौज – सितंबर 1941 में कैप्टन मोहन सिंह ने मलाया में आजाद हिन्द फौज की स्थापना की। सुभाष चंद्र बोस ने अक्टुंबर 1943 में सिंगापूर में आजाद हिन्द फौज की स्थापना कर उसमें नई जान डाली। यही पर उन्होंने -”तुम मुझे खून दो में तुम्हे आजादी दूंगा” और ”दिल्ली चलो” का नारा दिया। 6 जुलाई 1944 को आजाद हिन्द रेडिओ के प्रसारण में बोस ने गाँधी को ”राष्ट्रपिता” कह कर संबोधित किया।
History Of India In Hindi Question Answer
उम्मीद करता हूँ दोस्तों आपको आज की इस पोस्ट में दी गई जानकारी भारत का इतिहास क्या है (History Of India In Hindi) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास क्या है (history of Indian National Movement) और भारतीय इतिहास में हुई प्रमुख घटनाओ (Major events in Indian history) के बारे में जानकारी मिल गई होंगी।
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