Digestive System Explain In Hindi पाचन तंत्र क्या है कैसे काम करता है ?
Digestive System Explain In Hindi : हमारे शरीर में उपस्थित भोज्य पदार्थो के विशेष घटक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज लवण, विटामिन्स इन सबका पाचन हमारी शरीर में ही होता है। और यह सभी पोषण हम भोजन से ग्रहण करते है उसी से मिलते है। यह हमारे शरीर को ऊर्जा देने का कार्य करते है। और ये जितने भी पोषक तत्व है जैसे प्रोटीन ,कार्बोहाइड्रेट ,वसा ,खनिज लवण, इन सभी का पाचन (Digestion) हमारी बॉडी में अलग-अलग जगह होता है। हमारी बॉडी में ही कुछ ऐसे पाचक एन्जाइम होते है जो हमारे द्वारा ग्रहण किये गए भोजन को पचाने (Digest) में मदद करते है।
आज हम इस पोस्ट में ये जानेगे की हमारे शरीर में भोजन का पाचन कैसे होता है। भोजन के पाचन के लिए कौन – कौन से एन्जाइम हमारी बॉडी में उपस्थित होते है। वह एंजाइम कैसे हमारे द्वारा ग्रहण किये गए भोजन को पचाने में हमारी सहायता करते है। कुल मिलाकर आपको आज की इस पोस्ट में Digestive System Explain In Hindi पाचन तंत्र क्या है कैसे काम करता है ? यह जानने को मिलेंगा।
Definition Of Digestion पाचन की परिभाषा
पाचन एक प्रकार की अपचय क्रिया है जिसमे आहार के बड़े अणुओ को छोटे छोटे अणुओ में बदल दिया जाता है। पाचन वह क्रिया है जिसमे भोजन को यांत्रिकीय और रासायनिक रूप से छोटे-छोटे घटको में विभाजित कर दिया जाता है ताकि, उन्हें रक्तधारा में अवशोषित किया जा सके।
दूसरे शब्दों में कहा जाये तो पाचन वह क्रिया है जिसमे हम भोजन के जटिल अणुओ को तोड़कर सरल अणुओ में विभाजित करते है। भोजन में उपस्थित जटिल अणुओ के बड़े भाग को तोड़कर छोटे छोटे भागो में विभाजित करना ही पाचन (Digestion) कहलाता है।
भोजन में उपस्थित संयुक्त एवं अघुलनशील भोज्य कणों को सरल घुलनशील एवं अवशोषण योग्य भोज्य कणों में परिवर्तित करने की क्रिया पाचन कहलाती है।
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Types Of Digestion पाचन के प्रकार
पाचन दो प्रकार का होते है
- अन्तः कोशिकीय पाचन (Intracellular Digestion)
- बाह्य कोशिकीय पाचन (Extracellular Digestion)
अन्तः कोशिकीय पाचन – जो भोजन हम ग्रहण करते है उस भोजन का ऐसा पाचन जो कोशिका के अंदर होता है। इस प्रकार के पाचन को अन्तः कोशिकीय पाचन (intracellular digestion) कहते है। उदाहरण – अमीबा, पैरामीशियम आदि में होने वाला पाचन।
बाह्य कोशिकीय पाचन – जो भोजन हम ग्रहण करते है उस भोजन का ऐसा पाचन जो कोशिका के बाहर, आहार नाल में होता है। इस प्रकार के पाचन को बाह्य कोशिकीय पाचन (extracellular digestion) कहते है। उदाहरण – मनुष्य , मेढ़क ,मछली आदि में होने वाला पाचन।
पाचन के चरण – (Stages Of Digestion)
पाचन की क्रिया निम्न चरणों में पूर्ण होती है –
- अन्तर्ग्रहण – मुख द्वारा भोजन को खाया जाता है एवं मुखगुहा में अंतर्ग्रहण किया जाता है।
- पाचन – जन्तुओ द्वारा खाया गया भोजन के रूप में ग्रहण किए गए अघुलनशील तथा बड़े अणुओ का एन्जाइमों की सहायता से जल अपघटन किया जाता है।
- स्वांगीकरण – पचे हुए भोजन को कोशिकाओ द्वारा उपयोग करना स्वांगीकरण कहलाता है।
- मल परित्याग – बिना पचे भोजन को शरीर से बाहर निकालना ही मल परित्याग कहलाता है।
Digestive System Explain In Hindi पाचन तंत्र क्या है ?
वह तंत्र जहाँ पर भोजन (Food) जाता है और उस भोजन का पाचन (Digestion) होता है उन सारे अंग को पाचक अंग कहते है। और इस पूरी प्रक्रिया (Process) को पाचन तंत्र (Digestive System) कहते है। और इस प्रकार भोजन का जटिल अणु से सरल अणु में टूटना पाचन कहलाता है। पाचन तंत्र जठरांत्र मार्ग (Gastrointestinal tract) से बना होता है। पाचन तंत्र में जिगर (यकृत), अग्नाशय व पित्ताशय शामिल होते है। जठरांत्र मार्ग आपके मुँह से गुदा तक कई अंगो द्वारा जुड़ा होता है। इसमें मुख, ग्रासनली, पेट, छोटी आंत, बड़ी आंत व गुदा की मुख्या भूमिका होती है। हमारी बॉडी में पाचन तंत्र के कुछ मजबूत भाग होते है। यकृत, अग्नाशय और पित्ताशय इनमे शामिल है।
पाचन तंत्र की प्रक्रिया (Process Of Digestion)
पाचन तंत्र का कार्य आपके मुंह में भोजन जाते ही शुरू हो जाती है। इसका मुख्य कार्य जठरांत्र मार्ग में आपके भोजन को छोटे छोटे हिस्सों में विभाजित करके, उनसे सभी पोषक तत्व को प्राप्त करना होता है। उसके बाद प्राप्त पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुचाना होता है। बढ़ी आंत भोजन के सभी तरल को अवशोषित करके, पचे हुए भाग को मल के रूप में बाहर कर देती है। हमारी बॉडी में उपस्थित तंत्रिकायें और एन्जाइम्स का इस पूरी प्रकिया में महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
भोजन को खाने के साथ ही पाचन की क्रिया शुरू हो जाती है। इसमें एक पूरी प्रक्रिया के अंतर्गत काम होता है और भोजन का पाचन तथा उत्सर्जन होता है। तो आइये हम क्रमानुसार जानते है की भोजन कैसे इस प्रक्रिया से गुजरता है और पाचन तंत्र (Digestion System) में हमारे शरीर का कौन सा हिस्सा, भोजन पचाने के लिए कैसे काम करता है।
- मुखगुहा (Mouth)
- ग्रासनली (Food Pipe)
- पेट (Stomach)
- छोटी आँत Small Intestine)
- बड़ी आँत (Large Intestine)
- गुर्दा (Anus)
1) मुखगुहा (Mouth)
भोजन को मुख में डालने के साथ ही हमारे शरीर में पाचन (Digestion) क्रिया शुरू होती है। जब हम भोजन को चबाते है तो लार में कई एंजाइम होते है जो भोजन को चिकना एवं नरम बनाते हुए भोजन में मिलना शुरू हो जाता है। इसके नरम होने के कारण ही यह हमारी ग्रासनली से आसानी से जा पाता है।
हमारा मुख ऊपर की ओर तालु द्वारा पार्शवो में गालो द्वारा तथा निचे की ओर से जीभ द्वारा घिरी गुहा होती है। इनमें दोनों जबड़ो में सबसे आगे की ओर होठों एवं गालों से लेकर मसूड़ों तक सँकरा सा दरारनुमा क्षेत्र होता है, जिसे प्रकोष्ठ कहते है। मुखगुहा की छत को तालु कहते है। मुख ग्रासन गुहिका के तल के अधिकांश भाग पर मोती एवं मांसल जीभ फैली रहती है। इसका अग्र भाग मुखगुहा से आधार की ओर एक श्लेष्म झिल्ली द्वारा जुड़ा रहता है। यह झिल्ली फ्रेनुलम लिंगवी कहलाती है।
जीभ के ऊपरी भाग पर चार जीभ अंकुर पाए जाते है। सूत्राकार अंकुर को छोड़कर शेष सभी पर स्वाद कलिकाएँ पाई जाती है। हमारी मुख में बहिःस्रावी ग्रंथि होती है। बहि स्त्रावी ग्रंथि में एंजाइम होते है हमारे मुख में लारिया ग्रंथिया भी होती है जो लार का निर्माण करती है।
Mouth (मुँह) के तीन प्रमुख अंग होते है।
1. दाँत (Teeth) 2. जीभ (Tongue) 3. लारीय ग्रंथिया (Salivary gland)
दांत (Teeth) –
मनुष्य में 32 स्थाई, जबकि 20 अस्थाई दाँत होते है। स्थाई दाँत चार प्रकार के होते है।मनुष्य में दांत द्विबारदन्ती, विषमदन्ती व गर्तदन्ती होते है। दाँतो का इनेमल शरीर का सबसे कठोर भाग होता है। दाँतो का अधिकांश भाग डेन्टाइन का बना होता है।
- कृन्तक (Incisor) – इनकी संख्या 4 होती है तथा ये भोजन को कुतरने का कार्य करते है।
- रदनक (Canine) – इनकी संख्या 2 होती है तथा यह भोजन को चीरने – फाड़ने का कार्य करते है।
- अग्रचवर्णक (Premolar) – इनकी संख्या 4 होती है तथा यह भोजन को चबाने का कार्य करते है।
- चवर्णक (Molar) – ये संख्या में 6 होते है तथा भोजन चबाने का कार्य करते है।
जीभ (Tongue) –
जीभ हमारी बॉडी में एक प्रकार का संवेदी अंग (Sensory Organ) है। यह एक संवेदी अंग कहलाता है। हमारी बॉडी में 5 प्रकार के संवेदी अंग होते है। जीभ, कान, त्वचा, नाक, आँखे।
जीभ एक मस्कुलर ऑर्गन है। हायोइड अस्थि हमारे गले में होती है जो जीभ को पकड़कर रखती है जीभ और hyoid bone को आपस में जोड़ने का कार्य फ्रेनुलम करता है। जीभ की लम्बाई 10 cm होती है। हमारी जीभ में बहोत सारी स्वाद कलिकाएँ होती है जो हमें सवाद का अनुभव कराती है। जीभ के ऊपर जो स्वाद कलिकाएँ होती है उसे पैपिली कहा जाता है। हमें जीभ महसूस नही करवाती है की हमने कैसा खाना खाया है बल्कि स्वाद कलिकाएँ के द्वारा ही हमें स्वाद का अनुभव होता है। स्वाद कलिकाओं से ही हमारी तंत्रिकाएँ, हमारे मस्तिष्क के किसी एक भाग को मैसेज देती है और फिर हमरा मस्तिष्क हमें अनुभव कराता है की स्वाद कैसा है।
हमारी बॉडी में 4 स्वाद कलिकाएँ पाई जाती है।
- मीठा (sweet) – जीभ का अग्र भाग मीठे स्वाद के प्रति संवेदनशील होता है।
- कड़वा (Bitter) – जीभ का पिछला भाग कड़वे स्वाद के प्रति संवेदनशील होता है।
- खट्टा (Sour) – जीभ का साइड वाला खट्टे स्वाद के प्रति संवेदनशील होता है।
- नमकीन (Salty) – नमकीन स्वाद भी हमें जीभ का साइड वाला भाग ही कराता है।
लार ग्रंथिया (Salivary gland) –
लार ग्रंथिया मुखगुहा में लार को स्त्रावित और भोजन के पाचन (Digestion) क्रिया में मदद करता है। इसमें 98% जल और 2% एंजाइम इलेक्ट्रोलाइट्स, जीवाणुरोधी यौगिक, बलगम आदि होता है। लार ग्रन्थिया हमारे मुँह में मौजूद एक ऐसा अंग है जो लार बनती है। यह केवल स्तनधरियो में पाई जाती है। यह एक एक्सोक्राइन ग्रंथि है जो शरीर के गुहा के भीतर पदार्थो को निकालती है। लार में बलगम, लवण, जीवाणुरोधी योगिक, एंजाइम और पानी के साथ विभिन्न रसायन शामिल होते है जो मुँह में PH को नियंत्रित करती है।
लार ग्रंथियां 24 घंटे में लगभग 1 से 1.5 लीटर तक लार को स्त्रावित करती। 99% में पानी होता है। यह मुंह को नम और स्वच्छ रखता है, चबाने, निगलने और पाचन क्रिया में मदद करता है। मुख में बहिःस्रावी ग्रंथि होती है। बहि स्त्रावी ग्रंथि में एंजाइम होते है और हमारे माउथ में लारिया ग्रंथिया भी होती है जो लार बनती है। लारीय ग्रंथिया 3 प्रकार की होती है।
- कर्णमूल या पैरोटिड लार ग्रंथि (Parotid Gland)
- अधोहनु या सबमैक्सिलरी या सबमैण्डिबुलर लार ग्रंथि (Submandibular Gland)
- अधोजिव्हा सबलिंगुअल लार ग्रंथि (Sublingual Gland)
- कर्णमूल या पैरोटिड लार ग्रंथि (Parotid Gland) – पैरोटिड ग्रंथि सबसे बड़ी लार ग्रंथि है. प्रत्येक ग्रंथि लगभग 6 सेमी लम्बी, 3-4 सेमी चौड़ी और 30 ग्राम तक वजनी हो सकती है। ये ग्रंथि सिर के दोनों ओर कर्णपल्लव के कुछ नीचे स्थित होती है। हमारे मुखगुहा में वे लगभग 20% लार को स्त्रावित करती है।
- अधोहनु या सबमैक्सिलरी या सबमैण्डिबुलर लार ग्रंथि (Submandibular Gland) – ये ऊपरी व निचले जबड़े के संधि स्थल के पास स्थित होती है. प्रत्येक ग्रंथि की वाहिनी निचलरे जबड़े के कृन्तक दाँतो के पीछे खुलती है। यह हमारे जबड़े का चल भाग है यह दूसरी सबसे बड़ी लार ग्रंथि है और यह लगभग 65- 70% लार का उत्पादन करती है।
- अधोजिव्हा सबलिंगुअल लार ग्रंथि (Sublingual Gland) – यह तीनो लार ग्रंथियों में से सबसे छोटी लार ग्रंथि है। इनका एक जोड़ा जीभ के निचे मुखगुहा के ताल पर स्थित होता है। ये कई महीन वाहिनियों के द्वारा जबड़े व जीभ के निचे खुलती है। यह लार का लगभग 5% बनती है।
2) ग्रसनी गुहा (Food Pipe)
ग्रसनी गुहा में आहार नलिका, भोजन नलिका (Food Pipe), इसोफेगस (Esophagus) मुखगुहा के आगे का हिस्सा मुखग्रसना कहलाता है। इसोफेगस (Esophagus) एक मस्कुलर अंग है आहार नलिका का काम खाने को मुँह से आमाशय तक पहुंचना होता है। इसकी प्रत्येक पार्श्व दीवार में लिम्फोसाइड उत्तक की गाँठे गलतुण्डिकाएँ कहलाती है।
ग्रसनी की पीछे वाली दीवार में दो छेद ग्रसिका तथा घाटीद्वार पर घाँटीढ़ापन नमक उपास्थि पाई जाती है, जो की घाटी द्वार को भोजन निगलते समय बंद रखती है। आहार नलिका मुँह को पेट तक जोड़ती है आहार नलिका की लम्बाई 25 सेमी होती है जो मुख के पीछे गलकोष से आरम्भ होती है, सीने से थोरेसिक डायफ्राम से गुजरती है और उदर स्थित हृदय द्वार पर जाकर समाप्त हो जाती है ग्रासनली ग्रसनी से जुड़ी तथा निचे आमाशय में खुलने वाली नली होती है।
इसी नलिका से होकर भोजन आमाशय तक पहुँचता है। ग्रासनली के शीर्ष पर ऊतकों का एक पल्ला होता है जिसे एपिग्लॉटिस कहते है जोभोजन को निगलते के बाद बंद हो जाता है जिससे भोजन श्वासनली में प्रवेश न कर सके। ग्रासनली से भोजन को गुजरने में केवल सात सेकण्ड लगते है और इस दौरान पाचन क्रिया नहीं होती है।
3) आमाशय (Stomach)
आमाशय को उदर, जठर आदि नाम से भी जाना जाता है। अमाशय एक लम्बी युनीलोब्ड संरचना है जो डायफ्राम में निचे उदर गुहा (abdominal cavity) में स्थित होता है। मनुष्य में इसके तीन भाग होते है – कार्डियक/फंडिक (अग्र भाग पर), कार्पस/बॉडी (मध्य/मुख्य भाग, और पायलोरिक (पश्च भाग)
प्रत्येक व्यक्ति के आमाशय की दीवार में लगभग 3.5 करोड़ जठर ग्रंथि होती है। पेट में भी जठर ग्रंथिया होती है। हमारी बॉडी में एंजाइम, एंजाइम ग्रंथि बनती है। आमाशय में जैसे ही खाना आता है, वहा 1.5 – 2 घंटे खाना रहता है उसके बाद हमारे खाने (Food) का पाचन (Digestion) चालू हो जाता है। पेट में खाने को पचने के लिए 3-4 घंटे का समय लगता है।
जबकि खरगोश का आमाशय बाइलोब्ड होता है तथा कार्डियक (अग्रभाग), फंडिक (मध्य), पाइलोरस या चीफ भागो में विभाजित होता है आमाशय में दो वाल्व पाए जाते है। ग्रासनली तथा आमाशय के मध्य कार्डियक स्फिंग्टर वाल्व जबकि आमाशय तथा ड्यूओडिनम के मध्य पायलोरिक स्फिंक्टर वाल्व पाया जाता है।
नवजात शिशु में कार्डियक स्फिंक्टर बहुत कम विकसित होता है इसलिए आमाशयी पदार्थो का बाहर आना सामान्य होता है। उदर की आतंरिक सतह पर अनेक अनुद्धैर्य फोल्ड पाए जाते है जिन्हे आमाशयी रघी कहते है।
अमाशय का सबसे बाहरी स्तर सिरोसा है। मांसपेशिया अनैच्छिक तथा अरेखित होती है। उपकला स्तर सरल स्तंभकार उपकल कोशाओं से बना होता है तथा आमाशयी ग्रंथियों में विशिष्ट कोशायें पाई जाती है। आमाशय के मध्य भाग में 3 कोशिकाएँ पाई जाती है।
- पैप्टिक या जाइमोजिनिक, चीफ या सेन्ट्रल कोशिकाएँ :- ये कोशिकाएँ दो पाचक प्रोएन्जाइम पैप्सिनोजन तथा प्रोरेनिन का स्त्रावण करती है।
- ऑक्सीन्टिक या पैराइटल कोशिकाएँ :- यह कोशिकाएँ HCL का तथा कैसल्स इंट्रेसिक फैक्टर का स्त्रवण करती है। यह विटामिन B12 के अवशोषण में सहायक है। यदि अधिक मात्रा में गैस्ट्रिक जूस (HCL) का लम्बे समय तक स्त्रावण होता रहे हाइपरएसिडिटी की शिकायत हो जाएगी।
- म्यूकस नेक कोशिका :- क्षारीय म्यूकस का स्त्रावण करती है।
4) छोटी आँत (Small Intestine)
छोटी आँत, उदर गुहा में पाया जाने वाला एण्डोडर्म से निर्मित, आहार नाल का सबसे लम्बा भाग है, जो मिसेन्टरीज (mesentery) के द्वारा सधा होता है। जेजुनम तथा इलियम में पाए जाने वाले सर्कुलर तथा स्पाइरल फोल्ड को कर्करिंग फोल्ड कहते है आंत में अंगुली जैसे छोटे -छोटे उभार पाए जाते है जिन्हे विलाई कहते है ये अंदर की सतह के क्षेत्रफल को 8 गुना बढ़ा देते है। छोटी आंत में पित्त, अग्नाशय रस तथा आंत्र रस आकर मिलते है तथा भोजन का पाचन (Digestion) पूर्ण करते है। पित्त व अग्नाशय रास आंत के PH को क्षारीय करते है।
भोजन में पित्त रस मिलता है जो वसा को छोटी गोलियों में तोड़ देता है। ट्रिप्सिन प्रोटीन पर कार्य करके उसे पेप्टाइड में तोड़ देता है तथा एमाइलेज उसे सरल शर्करा में परिवर्तित कर देता है। लाइपेज वसा को, वसा अम्लों एवं ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता है। भोजन इलियम में पहुंचकर आंत्र रस से मिलता है अब भोजन काइल कहलाता है।
छोटी आंत मनुष्य में 3 मी लम्बी होती है। एपिथीलियम स्तर तथा लैमिया प्रोपिया के मध्य अंडाकार या गोल लिम्फैटिक ऊतकों का समूह पाया जाता है जिसे पैयर्स पैचेस (Peyer’s patches) कहते है। ये लिम्फोसाइड का निर्माण करते है। ब्रुनर्स या ड्यूओडिनल ग्रंथिया बहुकोशिकीय म्यूकस ग्रंथिया है, जो सिर्फ ड्यूओडिनम में ही पाई जाती है तथा म्यूकस का स्त्रावण करती है। मनुष्य की छोटी आंत 3 भागो में विभाजित रहती है।
- ड्यूओडिनम (अग्र भाग) – यह 25 सेमी लम्बी होती है, जेजुनम से मिलने से पूर्व U आकार का लूप बनाती है। इस लूप में पैन्क्रियाज स्थित होती है।
- जेजुनम (मध्य भाग) – यह 1 मी. लम्बा तथा 4 सेमी चौड़ा होता है,इसकी दीवार अत्यधिक संवहनी होती है। विलाई मोटे तथा जीभ के आकार के होते है, इसमें पेयर्स पैचेस नहीं होते है।
- इलियम (पश्च भाग) – यह 2 मी. लम्बा तथा 3.5 सेमी चौड़ा होता है.इसकी दीवार पतली तथा कम संवहनी होती है। विलाई पतले तथा अंगुली के आकार के होते है, इसमें पेयर्स पैचेस पाए जाते है।
5) बड़ी आँत (Large Intestine)
बड़ी आंत की लम्बाई 1.5 मीटर होती है लेकिन यह छोटी आंत से मोटाई में अधिक होने के कारण ही बढ़ी आंत कहलाती है। बड़ी आँत में उपस्थित चूषक कोशिकाएँ श्लेष्मा का स्त्रावण करती है जिसमे मल चिकना हो जाता है यहाँ अपचे भोजन से जल का अवशोषण होता है, जिसमे मल गाढ़ा हो जाता है।
शाकाहारी जन्तुओ के भोजन में, सेल्युलोस पचुर मात्रा में होता है। सेलुलोज का पाचन Digestion केवल सीकम में ही होता है क्योकि इसमें सहजीवी जीवाणु रहते है, जो सेलुलोज को शर्करा में बदल देते है।
बड़ी आँत को 3 भागो में बाटा गया है।
- सीकम – मनुष्य में सर्पिलाकार, मुड़ी हुई 6cm लम्बी सीकम पाई जाती है जिसकी लम्बाई खरगोश में 45cm होती है इसके पिछले भाग में एक अन्ध कोश पाया जाता है जिसे वर्मीफॉर्म अपेंडिक्स कहते है। यह अवशेषी अंग है, परन्तु इसमें लिम्फैटिक ऊतक पाए जाते है मनुष्य में सिकम भोजन मार्ग के रूप में उपयोग होता है।
- कोलन – कोलन एण्डोडर्म से बनी एक लम्बी ट्यूब जैसी संरचना है जिसकी लम्बाई 1.3 मीटर होती है। इसमें चार लिम्ब एसेन्डिंग, ट्रांसवर्स, डिसेंडिंग तथा पैल्विक (सिग्माइड) होते है। कोलन में दो विशिष्ट संरचनाएँ टिनी जो कोलन के मध्य में पाई जाती है। कोलन अपचित भोज्य पदार्थो में उपस्थित 5% जल, लवण, विटामिन्स आदि के अवशोषण में भाग लेते है। यह मल के निर्माण में भाग लेता है। कोलोन के बैक्टीरिया विटामिन्स B12 एवं K+ का संश्लेषण भी करते है।
- रेक्टम – रेक्टम मनुष्य में एक छोटी, ढीली, बैग जैसी संरचना है जो मॉल संग्रह का कार्य करती है। रेक्टम की दीवार पर स्फिंक्टर पेशियाँ पाई जाती है, जो आँत तथा मल द्वार को नियंत्रित करते है। मॉल त्याग न होने के दौरान यह बंद रहता है।
Digestive System Question Answer in Hindi
उम्मीद करता हूँ दोस्तों आपको आज इस पोस्ट में Digestive System Explain In Hindi पाचन तंत्र क्या है कैसे काम करता है ? समझ आ गया होगा और आपने ऊपर दिया गया Digestive System Quiz भी हल कर लिया होगा। ऐसे ही हमारी अन्य पोस्ट भी पढ़े –