रक्त Blood का निर्माण कैसे होता है ? Composition & Functions Of Blood
मानव शरीर में रक्त बहुत जरुरी होता है। रक्त की कमी से कमजोरी तथा मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। यह तो आप सभी सभी जानते होंगे की मानव शरीर के हर हिस्से में रक्त भरा होता है। लेकिन क्या आप जानते है की इस रक्त का निर्माण कैसे होता है (Blood kaise banta hai), रक्त में और क्या क्या पदार्थ मिले होते है (Composition Of Blood) रक्त के क्या कार्य होते है (Functions Of Blood) और रक्त कितने समूह में बटा होता है (Types Of Blood Groups in hindi) तो आज की इस पोस्ट में हम रक्त से जुडी सभी जरुरी जानकारियाँ आपके साथ साँझा करेंगे। साथ ही इस पोस्ट में आपको रक्त से जुड़े सवालो के जवाब (Blood Related Question And Answer) यानि एक क्विज (Mcq Quiz) भी हल करने को मिलेंगा। जिससे आपकी एग्जाम से जुडी तैयारी और आप, अपने ज्ञान का परीक्षण भी कर पाएंगे।
रक्त क्या होता है ? What Is blood
रक्त को रुधिर, खून, ब्लड आदि नामों से जाना जाता है। हमारे शरीर में लाल, चमकीला, चिपचिपा स्वाद में नमकीन, क्षारीय तरल द्रव होता है इसे रक्त कहते है। इसका PH मान 7.35 होता है। मानव शरीर में रक्त का निर्माण भ्रूण अवस्था में, यकृत के द्वारा होता है। किन्तु अल्प मात्रा में प्लीहा (Spleen) तथा पसलियों (Ribs) में भी होता है। व्यस्क अवस्था में इसका निर्माण Bone Merrow से होता है। जीव विज्ञानं की वह शाखा, जिसके अंतर्गत रक्त का अध्ययन किया जाता है उसे हेमेटोलॉजी (hematology) कहते है।
रक्त के निर्माण या उत्पादन की क्रिया को हिमोपोएसिस (Hematopoiesis) कहते है। रक्त की श्यानता – 4.7 Ph होता है। रक्त का पीएच मान 7.35 होता है। इसका गुरुत्व 1.04 -1.07 होता है। इसका आयतन शरीर के भार के 7% होता है, मतलब की 70 कि. ग्रा का कोई व्यक्ति है, तो उस व्यक्ति में 5-6 लि. रक्त हो सकता है।
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रक्त का संघटन (Composition Of Blood)
- प्लाज्मा (Plasma)
- रक्त कणिकाएँ blood cells (Carpals)
प्लाज्मा (Plasma)
यह रक्त का तरल तथा निर्जीव भाग है, यह रक्त का लगभग 55- 60% भाग बनाता है। यह शरीर के भार के 5% होता है। यह रक्त के मैट्रिक्स को बनाता है। यह रंगहीन होता है, किन्तु अधिक मात्रा में होने पर पीला दिखाई देता है।
Chemical Composition Of Plasma –
प्लाज्मा में जल – 91-92%, ठोस पदार्थ 8-9%,कार्बनिक पदार्थ – 7%, अकार्बनिक पदार्थ – 1% आदि होते है। प्लाज्मा में अकार्बनिक पदार्थ जैसे Nacl, NaHco3 सोडियम बाई कर्बोनेट प्रमुख रूप से है। इसके अलावा इसमें Cl, mg, K, F, S आदि अल्प मात्रा में होते है। ये प्लाज्मा के लवण जल में घुलकर अम्लीय प्रभाव को कम करते है। तथा प्लाज्मा को हल्का क्षारीय बनाते है। प्लाज्मा में O2, Co2 तथा N2 भी घुली होती है।
प्रोटीन (Portion)
प्लाज्मा में प्रोटीन कोलाइडी कण के रूप में रहते है, और प्लाज्मा का 7% भाग बनाते है। उदाहरण – एल्ब्युमिन, ग्लोब्युमिन, प्रोथॉम्बिन, फाइब्रिनोजिन। ग्लोब्युलिन का निर्माण लसिका अंगो में प्लाज्मा कोशिकाओं से होता है, बाकि सभी प्रोटीन का निर्माण यकृत में होता है। ये प्रोटीन ऐन्टीबॉडी के समान कार्य करते है। जैसे – हानिकारक जीवाणु-विषाणु को नष्ट करते है। कुछ प्रोटीन एंजाइम की तरह कार्य करते है।
- प्लाज्मा में पाए जाने वाले पोषक पदार्थ – ग्लूकोज, कार्बोहाइड्रेट, वसीय अम्ल, फॉस्फोलिपिड, कोलेस्ट्रॉल, न्यूक्लियोसाइड आदि।
- उत्सर्जी पदार्थ – यूरिया, युरिक अम्ल, ग्वानिन, क्रियेटिनिन
- हार्मोन्स – सभी हार्मोन्स सीधे रक्त में स्त्रावित होते है।
- घुलित गैसे – O2, CO2, सभी
- रक्षक यौगिक – लाइसोजाइम, प्रोपार्डिन (बड़ा प्रोटीन अणु)
- प्रतिस्कंदक – हिपेरिन
रक्त कणिकाएँ blood cells (Carpals)
ये रक्त का 40-50% भाग बनाता है, और यह तीन प्रकार की होती है।
- RBC (Red Blood Carpals)
- WBC (White Blood Carpals)
- प्लेटलेट्स (platelets)
RBC (Red Blood Carpals)
RBC को लाल रक्त कणिकाएँ या एरिथ्रोसाइट्स नाम जाना जाता है। मनुष्य की RBC गोल अण्डाकार होती है। ये हल्के पिले रंग की होती है, किन्तु लाखों की संख्या होने पर लाल रंग की दिखाई देती है। स्तनियों के RBC को छोड़कर बाकि जीवों की RBC में केन्द्रक पाया जाता है। कशेरुकीयो में ही RBC 99% होती है। मेढ़क की RBC में केन्द्रक होता है। मानव की RBC – 7.4 μm व्यास, मोटाई – 1-1.5 μm, एवं रंग हल्का पीला होता है।
मानव की RBC गतिक (Dynamic) होती है। एन्जाइम युक्त प्लाज्मा, झिल्ली से घिरी रहती है। मानव की RBC के ढाँचे में 26.5 करोड़ हीमोग्लोबिन अणु होते है। RBC का 60% भाग जल का बना होता है। शेष भाग ठोस होता है। 100 ml रक्त में, पुरुषों में 14 -16 ग्राम तथा महिलाओं में 12-14 ग्राम हीमोग्लोबिन होता है। हीमोग्लोबिन को हीमोग्लोबिनोमीटर के द्वारा मापा जाता है। हीमोग्लोबिन एक पर्पल (नीला लोहित) रंग का श्वसन वर्णक है इसमें आयरन Fe++ श्वसन वर्णक होता है। 1 Hb में आयरन 5% और ग्लोबिन 95% होता है। ग्लोबिन 4 एमिनो अम्ल की पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओ से मिलकर बनता है। 1 श्रृंखला को α एवं दूसरे को β कहते है। α में 141 एमिनो एसिड एवं β में 146 एमिनो एसिड होते है।
1 ml हीमोग्लोबिन में 1.34 ml ऑक्सीजन को बाँधने की क्षमता होती है। हीमोग्लोबिन में आयरन हिमोमीटर से मापा जाता है। पुरुषों में स्त्रियों की तुलना में Hb अधिक होता है 14-16 ग्राम/100 ml, महिलाओं में 12-14 ग्राम/100 ml, बच्चों में 16.5/100 ml, भ्रुण में 23 ग्राम/100 ml होता है।
रक्त में RBC की गणना हिमोसाइनोमीटर से की जाती है। RBC की संख्या को RBC काउंट कहते है। RBC की संख्या पुरुषों में 5-5.4 मिलियन/घन ml, स्त्रियों में 4.5-5 मिलियन/घन ml, शिशु में 60-70 लाख/घन, भ्रुण में 85 लाख/घन होती है। मनुष्य की RBC 90-120 दिन या 4 माह तक जीवित रहती है। नवजात शिशु की RBC 100 दिन, खरगोश की RBC 80 दिन, मेढ़क में 100 दिन तक जीवित रहती है।
RBC के कार्य
- श्वसन सतह से ऑक्सीजन को ग्रहण करना व कोशिका तक पहुँचाना।
- Ph मान का समन्वयन करना।
- RBC की कमी से एनीमिया हो जाता है।
- RBC का निर्माण विटामिन B12 तथा फोलिक अम्ल की सहायता से होता है।
E.S.R. (Erythrocytes Sedimentation Role)
इसे विंट्रोव ट्यूब या वेस्टर्न ब्लॉटिंग विधि द्वारा मापा जाता है प्लाज्मा में RBC के डूबने की दर ESR कहलाती है। यह निचे जाकर रोलैक्स निर्माण करती है। स्त्रियों में ESR की दर पुरुषों की तुलना में अधिक होती है। नवजात शिशु में सबसे कम होती है। पुरुषों में ESR 5mm एवं स्त्रियों में 10mm होती है। यह स्थिति विनाशात्मक या प्रदाहणात्मक रोग को दर्शाता है।
WBC (White Blood Carpals)
WBC को White Blood Carpals या ल्यूकोसाइड कहा जाता है। ये केन्द्रक युक्त रंगहीन पूर्ण कोशिका होती है। ये RBC से कम तथा अनियमित आकार प्रदर्शित करती है। इनकी संख्या 5 हजार से 10 हजार प्रतिघन mm होती है। रोगियों के शरीर में इसकी मात्रा बड़ जाती है। WBC का निर्माण अस्थिमज्जा, प्लीहा, थायमस ग्रंथि, लिम्फनोड, माइलोसाइट्स से WBCs का निर्माण होता है। WBC का बनना माल्युकोसिस कहलाता है। WBCs का जीवन काल 15 घण्टे से 2 दिन होता है।
जब WBC की संख्या बड़ जाती है तो इसे ल्यूकोसाइपेसिस कहते है, और कम होने पर ल्यूकोपीनिया कहते है। इनकी संख्या 5000 प्रति घन mm से कम होती है। टाइफाइड में WBC की संख्या कम हो जाती है।
WBC के प्रकार
- कणिकामय या ग्रेन्युलर ल्यूकोसाइड – ये कोशिकाएं कण युक्त होती है। इसका निर्माण अस्थिमज्जा की मायोब्लास्ट कोशकाओ के द्वारा होता है। ये तीन प्रकार की होती है।
- इओसिनोफिल्स – इनके कोशिका द्रव्य में कण बड़े – बड़े होते है। इनका केन्द्रक भी दो पिण्डो में बंटा होता है, ये केन्द्रक एक पतले सूत्र के द्वारा जुड़े रहते है। इनकी संख्या बड़ जाने पर ishnophiliya नामक बीमारी हो जाती है। जिसमे श्वास फूलने लगती है खासी आती है। एलर्जी को प्रदर्शित करती है। इओसिनोफिल्स सम्पूर्ण WBC का 2-4% भाग बनाता है।
- बेसोफिल्स – ये संख्या में कम तथा बड़ी होती है। इनका केन्द्रक तीन पिण्डों में बटा होता है और एक पतले सूत्र द्वारा जुड़ा रहता है। ये सम्पूर्ण WBC का 0.5-1% भाग बनाता है। इसमें मास्ट कोशिका द्वारा स्त्रावित हिपेरिन, हिस्टेमीन, सिरटोनिन पाया जाता है।
- न्युट्रोफिल्स – इस कोशिका में कण छोटे छोटे होते है। इनका केन्द्रक कई पिण्डो में बटा होता है। यह सम्पूर्ण WBC का 60-70% भाग बनाती है। इसका कार्य रोगाणु, जीवाणु, विषाणु का भक्षण करता है।
- अकणिकामय ल्यूकोसाइड
- लिम्फोसाइड – इनकी कोशिका द्रव्य में कण नहीं पाए जाते है। ये रोगजनकों से रक्षा करती है और एंटीबाडी का निर्माण करती है ये WBC का 20-25% भाग बनाता है।
- मोनोसाइड – ये रक्त की सबसे बड़ी कोशिका है तथा फैगोसाइड प्रकृति की होती है। ये WBC का 3-8% भाग बनाती है। ये कोशिका ऊतक द्रव्य में जाकर भक्षण कोशिका का निर्माण करती है।
प्लेटलेट्स (platelets)
ये स्तनियों के रक्त में पायी जाने वाली प्रोटोप्लाज्मिक प्लेट्स है। जिन्हे हम थ्रोम्बोसाइट कहते है। ये अण्डाकार गोलाकार होती है। मानव में इनकी संख्या 3 लाख प्रति घन होती है। इनका जीवन काल 5-9 दिन होता है। ये रक्त का थक्का बनाने में काम आती है। इस कारण से 1% RBC और 30% WBC प्रतिदिन नष्ट होती है।
रक्त समूह Blood Group
रक्त समूह Blood Group की खोज लेण्डस्टीनर ने सन 1900 में की थी। लेण्डस्टीनर के अनुसार मानव की RBC कोशिका में तथा रक्त के प्लाज्मा में रक्त कोशिकाओं के अभीसंश्लेषण से सम्बंधित प्रोटीन पदार्थ पाया जाता है। RBC में पाए जाने वाले ऐसे पदार्थ एंटीजन या Agglutinogen कहते है। प्लाज्मा में पाए जाने वाले पदार्थ को एंटीबॉडी एग्लूटिनिन कहते है। एन्टीजन दो प्रकार के होते है। एंटीबॉडी A रोधी तथा B रोधी कहलाता है।
रक्त समूह – मुख्यतः ब्लड ग्रुप चार प्रकार के होते है – A, B, AB और O, हमारे रक्त समूह का निर्धारण हमारे माता – पिता से हमे प्राप्त होने वाले जीन द्वारा निर्धारित होता है।
- रक्त समूह A – रक्त समूह A वाले व्यक्ति के RBC में एंटीजन A बनेगा एवं प्लाज्मा में एंटीबॉडी B रोधी होगी रक्त समूह A वाला व्यक्ति A, AB रक्त समूह को रक्त दे सकते है। रक्त समूह A वाला व्यक्ति रक्त समूह A, O से रक्त ले सकता है।
- रक्त समूह B – रक्त समूह B वाले व्यक्ति के RBC में एंटीजन B बनेगा एवं प्लाज्मा में एंटीबाडी A रोधी होगी रक्त समूह B वाला व्यक्ति रक्त समूह B एवं AB वाले समूह को ब्लड दे सकते है। इस समूह वाले व्यक्ति ग्रुप B, O वाले व्यक्ति से रक्त ले सकता है।
- रक्त समूह AB – रक्त समूह AB वाले व्यक्ति के RBC में एंटीजन AB ही बनता है एवं इसमें कोई एंटीबाडी नहीं बनती है। इस ब्लड वाले व्यक्ति AB रक्त समूह वाले व्यक्ति को ब्लड दे सकता है। एवं AB, O से ब्लड ले सकता है।
- रक्त समूह O – इस रक्त समूह वाले व्यक्तियों में कोई एंटीजन नहीं बनता है एवं एंटीबाडी प्लाज्मा में AB रोधी बनती है। ब्लड ग्रुप O वाला व्यक्ति A, B, AB, O वाले व्यक्ति को ब्लड दे सकता है एवं O ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति से ब्लड ले सकते है।
O-Blood Group – O नेगेटिव वाले व्यक्ति में कोई भी एंटीजन नहीं होता है, इसलिए O रक्त समूह सभी को दिया जा सकता है। इसके ठीक विपरीत दोनों एंटीबाडी उपस्थित होती है। इसके लिए O वाला व्यक्ति किसी से रक्त नहीं ले सकता है।
AB Blood Group – इस ब्लड ग्रुप में A तथा B दोनों एंटीजन उपस्थित होते है। इसलिए यह रक्त समूह किसी भी व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता है। इसमें एंटीबाडी नहीं होता है, इसलिए ये किसी भी व्यक्ति से ब्लड ले सकते सकते है इसलिए इसे सर्वग्राही कहते है।
Rh फेक्टर – इसका पता लेण्डस्टीनर तथा विनर ने 1940 में रिसस मेकाका बन्दर में देखा 85% लोग पॉज़िटिव 15% लोग नेगेटिव होते है। Rh एंटीजन का कोई एंटीबाडी नहीं होता है किन्तु Rh- के सम्पर्क में पॉज़िटिव रक्त आता है तो एंटीबाडी बनने लगती है। Rh एंटीबॉडी वाले व्यक्ति को पुनः Rh+ रक्त चढ़ाया जाये तो पहले से बने एंटीबॉडी के कारण RBC चिपक जाती है। और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
एरिथ्रोब्लास्टोसिस किटलिस – यदि माँ Rh- है। और पिता Rh+ है तो शिशु Rh+ होगा और यदि बच्चा गर्भ में घूमते समय प्लेसेन्टा हो जाये तो उसमे का Rh+ माँ में आजाने से उसके अन्दर के रक्त चिपकने लगेगा और मृत्यु हो जाएगी।
Blood Related Question And Answer
उम्मीद करता हूँ दोस्तों आपको आज की इस पोस्ट में बताई गई जानकारी रक्त का निर्माण कैसे होता है (Blood kaise banta hai), रक्त में और क्या क्या पदार्थ मिले होते है (Composition Of Blood) रक्त के क्या कार्य होते है (Functions Of Blood) और रक्त कितने समूह में बटा होता है (Types Of Blood Groups in hindi) पसंद आई होंगी। इससे जुड़े आपके कोई सवाल हो तो हमें निचे कमेंट्स जरूर करे।
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